December 22, 2024 9:54 pm

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जिले में निरंतर बढ़ रहा सरसों का रकबा

जिले में निरंतर बढ़ रहा सरसों का रकबा


कटनी। जिले में रीठी एवं बहोरीबंद विकासखंड के पठारी क्षेत्र में पानी की कमी होने के कारण रबी की मुख्य फसल गेहूं का उत्पादन कम प्राप्त होता है। साथ ही सरसों की खेती में लागत की तुलना में मुनाफा ज्यादा होता है।जिससे किसानों की विगत वर्षों से सरसों की खेती में रुचि बढी है। जिससे लगातार सरसों का रकबा बढ़ रहा है। इन क्षेत्र में किसानो के द्वारा सरसों की खेती एकल फसल के रूप में की जा रही है।
सरसों की खेती से मिल रहा अधिक मुनाफा
सरसों की खेती किसानों के लिए लाभकारी भी सिद्ध हो रही है l गेहूं की खेती में एक हेक्टर में औसत उत्पादन पठारी क्षेत्र में जहां 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होता है और प्रति हेक्टेयर खेती की औसत लागत 35 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर आती है एवं औसत उत्पादन 35 क्विंटल प्रति हेक्टर प्राप्त होता है। जिससे प्रति हेक्टेयर उपज से 80 हजार रुपए प्राप्त होते हैं। इस प्रकार गेहूं की खेती से शुद्ध मुनाफा 45 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है। जबकि सरसों की खेती की प्रति हेक्टेयर लागत करीब रुपए 20 हजार रुपए आती है और इसका औसत उत्पादन लगभग 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है। इस प्रकार एक हेक्टेयर से करीब 78 हजार रुपए का उत्पादन प्राप्त होता है एवं शुद्ध मुनाफा 58 हजार रुपए का प्राप्त होता है। इस तरह सरसों की खेती से गेहूं की तुलना में 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल का अधिक फायदा होता है।पठारी क्षेत्र जहां पर सिंचाई के संसाधन कम हैं । हर साल बढ़ रहा सरसों का रकवा
सरसों की खेती से कम लागत पर ज्यादा मुनाफा प्राप्त होने की वजह से कृषकों की सरसों के प्रति खेती में रुचि बढ़ी है और लगातार सरसों का रकबा कटनी और बहोरीबंद के पठारी क्षेत्र में बढ़ रहा है। उप संचालक कृषि ने बताया कि रबी 2021–22 में सरसों का रकबा जिले में 8905 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2022–23 में बढ़कर 11 हजार 300 हेक्टेयर हो गया और इस वर्ष जिले में सरसों का रकबा बढ़कर लगभग 14 हजार 500 हेक्टेयर हो गया है। इस तरह वर्ष 2021–22 की तुलना में जिले में 63 फीसदी सरसों के रकबे में वृद्धि हुई है। सरसों का रकबा बढ़ाने के लिए कलेक्टर श्री प्रसाद के नेतृत्व में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग एवं जिला प्रशासन के माध्यम से उन्नतशील सरसों की किस्म का वितरण विगत वर्षों से लगातार किया जा रहा है। इस वर्ष भी सरसों की हाइब्रिड किस्म का वितरण जिले में किया गया है। इस तरह सरसों का रकबा बढ़ने से प्रदेश में जिले की पहचान सरसों उत्पादक जिले के रूप में हो रही है। कटनी जिला समर्थन मूल्य पर सरसों के उपार्जन के लिए भी चयनित है विगत वर्ष में 4715 मेट्रिक टन सरसों सरसों का उपार्जन हुआ था।

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